Saturday, January 29, 2011

अतीत


एक अन्जाना ख़्वाब
बरस रहा है आज कहीं,
कुछ मटियाली यादों से
परतें माटी की,
धीरे धीरे गीली होकर
महक रहीं हैं आज कहीं !!

बीते जीवन के कुछ लम्हे

बरसों पहले दफनाये थे,
इस बारिश के गीलेपन से
उन लम्हों के अंकुर,
सौंधी माटी में से उठकर
फूट रहे हैं आज कहीं !!

रंग बिरंगे सपनों से

कुछ शक्लें रंग डाली थीं,
तन्हाई के आलम में
वो धुंधलाई शक्लें,
तस्वीरों के कोनों से
झाँक रहीं हैं आज कहीं !!


Photo Courtesy- Uttam Sikaria
blog: utmsikaria.wordpress.com

Sunday, January 16, 2011

आओ, पतंग उड़ायें


आओ, पतंग उड़ाएं, कुछ ख़्वाब सजाएँ..
आसमान में ऊंचे उड़ते,
दुनियां की नज़रों में बसते,
कभी उलझती कभी सुलझती,
जीवन की डोर सम्हाले,
कुछ सच्चे ख़्वाब सजाएं...

आओ पतंग उड़ाएं, कुछ साथी बनाएं..
चरखी पकड़ें या पेंच लड़ाएं,
जीवन युद्ध में साथ में साथ निभाएं,
मंज़िल की हर पगडण्डी
और दोराहे पर राह सुझाते,
कुछ सच्चे साथी बनाएं...

आओ, पतंग उड़ायें.....

Monday, January 3, 2011

सर्द सुबह


उत्तर की सर्द सुबह,
आधी सोयी आधी जागी,
रजाई में गुडी हुई
पड़ी थी,
कुछ धुंध कुछ बादलों से,
फ़लक एक रुई के कारखाने सा लग रहा था,
मैंने,
आँगन में आकर
फ़लक को देखा,
तो
बादलों की रजाई के
किसी कोने से,
सूरज ने सर निकाला,

हल्की सी मुस्कराहट भरी धूप के साथ
नए साल की शुभकामनाएं दी,
और वो
नए समय का सूरज,
फिर से
अपनी बादलों की रजाई में,
सर छुपा के गुडी हो गया..
उत्तर की उस सर्द सुबह में.