Tuesday, February 22, 2011

उन्माद



कुछ बदलता वक़्त,
कुछ जज़्बातों की उफ़ान
की अब,
सपनों की गहराइयाँ कम,
और मंजिलें
छोटी लगती हैं..
हर कदम
एक आस जगाता है,
हर लम्हा ये मन
एक और कदम
चलने को मचलता है..
अरे, अभी सांस है,
चलता रह,
मंज़िल क़रीब है
गर आस है...

Friday, February 18, 2011

तजस्सुम



एक नज़्म की तजस्सुम है...

माहताब से दरिया तलक
सारे किरदार कुरेद लिए,
ज़मीं में सोये कुछ के
कुतबे भी पढ़े,
मुज्तरिबी का आलम
बरकरार है फिर भी...

आज फिर,

एक नज़्म की तजस्सुम है...


Saturday, February 12, 2011

हिजरां


कुछ बारीक सी उमस थी आँखों में,
कुछ तुम्हारे दमकते चेहरे की रौशनी,
तुम्हें देख ना सका
जी भरने तक...

बहुत बड़ा पैमाना था
इस बेमेहर हिजरां का, 

आतश की तरह जला था                           
इसे पीकर
हर पल, हर शब..                          
           

अब जाने ना देना
अपनी आगोश से,
वरना दुनियां एक और
शराबी को देखेगी,
आतश की तरह जलते
पैमाने में डूबे हुए...


(बेमेहर= निर्दयी, हिजरां = जुदाई, आतश = आग, शब = रात)

Tuesday, February 8, 2011

एक मुस्कुराहट


कहीं पुरानी यादों की
कड़वाहट थी,
कुछ ज़ख्मी अहसासों के
निशां थे सीने में,
बीते हुए कल के गुनाहों से
आज की एक दूरी थी
दरम्यान,
आधी साँसें ज़िन्दगी की
खर्च कर दीं
ज़ख्मों की नाप तौल में,
और दूरी बढती रही...

अभी अभी कुछ नन्हे

अहसास जगे हैं,
बीते को बीता समझा
और
दूरी को मैंने एक मुस्कुराहट से मिटा दिया...

Friday, February 4, 2011

ज़िन्दगी एक नज़्म है


कुछ ख़्वाब जो देखे
तो हकीक़त को मैंने जाना,
कुछ कदम जो बढ़ाये
तो मंज़िल को पहचाना..
ग़म की आहट ने मुझको
खुशियों का राग सुनाया,
कुछ ऐसे ही ख़यालों ने
ये अहसास कराया-
"ज़िन्दगी एक नज़्म है
जी ले इसे, और
महसूस कर इस नज़्म को
ज़िन्दगी की तरह.."