Sunday, June 26, 2011

सालगिरह




फिर वही दिन है,
पहर है, घड़ी है..
फिर कमरे में-
तेरा सुरूर है,
तेरी महक है...
साल भर की-
खुशियों और ग़मों से चुराकर,
कुछ बूँदें बचाई हैं
आंसुओं की...
तेरी यादों पर जमी धूल को
साफ़ करना है,
आज फिर...

Saturday, June 18, 2011

दर्द के ख़ाते


कुछ हिसाब सा बाकी है
दर्द के ख़ाते में..
कुछ बक़ाया है,
कुछ गिरवी है किसी का
मेरे पास...
ये ख़ाते-
खुले में रखता हूँ,
कोई चुराता नहीं..
ना गलते हैं,
ना जलते हैं,
रूह से जुड़कर
रूह बन गए हैं..
ये ख़ाते अब ख़त्म ना होंगे,
क्योंकि-
कुछ हिसाब सा बाकी है अभी....

Friday, June 10, 2011

रोशनदान



रोशनदान से गिरा
वो रौशनी का धब्बा,
जो बाहर की दुनियां के
उजलेपन का अक्श था,
कमरे के अँधेरे को
छन से मिटा गया...
कभी दिल में अँधेरा होगा
तब उसी उजले धब्बे को याद करूंगा,
कोई रोशनदान खोलूँगा,
शायद रोशनी नसीब हो..