मृगतृष्णा
Friday, August 26, 2011
सुकून
आज तूने बहुत रुलाया है
अपनी आग़ोश में..
कुछ अनजाने ख्यालों से..
..ये दिल कुछ बेचैन था,
कौन से वो लम्हे थे..
अफ़सोस के ना जाने,
कि बस-
राह सी बन गयी,
..मेरे क़दमों से
तेरे क़दमों तलक.....
आज तूने बहुत रुलाया है,
..अपनी आग़ोश का
ये सुकून देकर..
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